Sunday, March 9, 2014

पूछ तो लेना था


बरसने लगे यू ही बादल 
पूछ तो लेना था
लिख रहा था चुपचापचीर दिया आकाश 
बिजली ने
पूछ तो लेना था ?

और थम से गये हाथ क्योकि मन खो गया बूंदो की बात समझने में 
मेरे से अनजान होकर लगा बूंदो को समझने? 
पूछ तो लेना था।

पूछ तो लेना था , बिना पूछे निकल पड़ा एक आंसू 
और फिर उस रूठें को मनाने 
निकल पड़े बाकी भी. 
पूछ तो लेना था

बादल,  बिजली,  बूंदें,  मन,  आंसू
निकल पड़े सब एक साथ एक कारवां में
और मैं, रह गया। 
जैसे मील का पत्थर . 

पूछ तो लेना था ? 
 



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